Osteoporosis: बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों का कमज़ोर होना आम बात है। लेकिन जब ये कमज़ोरी एक हद से ज़्यादा हो जाती है और नौबत ये आ जाती है कि हड्डियां आसानी से टूटने लगे और फ्रैक्चर हो जाए तो उस स्थिति को ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis meaning) कहते हैं।
मानव शरीर में हड्डियों का उत्थान होना यानी उनका रिजेनरेट होना एक कोंस्तांत प्रॉसेस है लेकिन जब हड्डियां रिजेनरेट की बजाय डीजेनरेट होने लगती हैं तो परिणामस्वरुप बोन मास पर असर पड़ने लगता है। और हड्डियों के द्रव्यमान यानी बोन मास में कमी आने की वजह से हड्डियों के ढांचे में हस्तक्षेप होने लगता है और व्यक्ति ऑस्टियोपोरोसिस का शिकार हो जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में हड्डियां बेहद कमज़ोर हो जाती हैं जिसकी वजह से हल्का का खिंचाव भी फ्रैक्चर का रूप लेने की संभावना बढ़ जाती है।
ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण
ऊपर हमनें जाना कि ऑस्टियोपोरोसिस की परिभाषा क्या है, इस सेक्शन में हम जानेंगे कि ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण (osteoporosis symptoms) क्या होते हैं. याद रखिए आधी जानकारी हमेशा हानिकारक होती है इसलिए इसे पूरा करने में ही फायदा है… पूरा आर्टिकल पढ़ें.
शुरुआती स्टेज में ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण सामने नहीं आते हैं लेकिन जब हड्डियों को काफी नुकसान पहुँचने लगता है तो इसके लक्षण (osteoporosis symptoms) साफ समझ में आने लगते हैं. आइये जानते हैं क्या हैं इसके लक्षण .
- पीठ में दर्द होना
- शरीर का झुका हुआ लगना
- कमज़ोरी महसूस होना और आसानी से थक जाना
- पीठ में किसी भी तरह का उभार वर्टिब्र (लिस्टिसिस) के फ्रैक्चर होने के कारण हो सकता है
- समय के साथ ऊंचाई कम हुई
- लगातार फ्रैक्चर आना
ऑस्टियोपोरोसिस के कारण
ऑस्टियोपोरोसिस की परिभाषा हुए लक्षण जानने के बाद आपके लिए इस बीमारी के कारण (osteoporosis causes) जानना बेहद ज़रूरी है। आइये जानते हैं ऑस्टियोपोरोसिस के कारण:
बढ़ती उम्र: ऑस्टियोपोरोसिस होने के पीछे उम्र एक बहुत बड़ा कारण है। आमतौर पर हमारे शरीर में हड्डियों के बनने और टूटने की प्रक्रिया चलती रहती है। लेकिन 30 की उम्र में पहुँचने के बाद हड्डियों का टूटना तो चलता रहता है लेकिन वापस बढ़ने की प्रक्रिया रुक जाती है और बोन्स नाजुक हो जाते हैं। और ऑस्टियोपोरोसिस होने की संभावना बढ़ जाती है.
मेनोपॉज: मेनोपॉज़ आमतौर पर 40-5 की उम्र में महिलाओं को होता है। इस स्थिति में महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं जिसके कारण शरीर से हड्डियां खत्म होने लगती हैं। वहीं पुरूषों की बात करें तो इस उम्र में उनके शरीर में भी हड्डियों का टूटना जारी रहता है। हालांकि महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में ये प्रक्रिया धीरे होती है।
हाइपोथायरायडिज्म: यह भी इसका एक कारण हो सकता है।
अन्य कारणों की बात करें तो इसमें
- विटामिन डी की कमी
- कैल्शियम की कमी
- आनुवंशिक प्रवृतियां
- सूर्य के प्रकाश का शरीर पर ना पड़ना
- पर्यावरण का प्रदूषित होना
- मीनोपॉज में महिलाओं में कम एस्ट्रोजन का स्तर
- कैंसर ट्रीटमेंट थेरेपी
- हाइपर्थाइरॉइडिज़म
- चिकित्सा स्थिति या दवा: प्रेडनिसोन या कोर्टिसोन जैसी दवाएं भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकती हैं।
- रूमेटाइड आर्थराइटिस
- बिना मूवमेंट की लाइफस्टाइल
- शराब और धूम्रपान और तंबाकू का सेवन
ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव के लिए डाइट में क्या शामिल करना चाहिए?
अगर आप चाहते हैं कि 30 की उम्र में आपकी हड्डियां कमज़ोर ना हों और आप ऑस्टियोपोरोसिस के शिकार (osteoporosis diet) ना हो तो अपने खाने में ये चीज़े ज़रूर शामिल करें
डेयरी उत्पाद: दूध से बने हुए प्रोडक्ट्स को कैल्शियम का सबसे अच्छा सोर्स माना जाता है। कैल्शियम हड्डियों को मज़बूत करने में अहम रोल निभाता है। ऐसे में अपने खाने में डेयरी उत्पाद जैसे पनीर, दही, कम वसा, और नॉनफैट दूध जैसी चीज़े ज़रूर शामिल करें।
प्रोटीन: शरीर को पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन पहुंचाने के लिए मांसाहारी लोग मीट व मछली खा सकते हैं। वहीं शाकाहारी लोग प्रोटीन के लिए ओट्स, राजमा, दाल, ग्रीक योगर्ट जैसी चीज़े खा सकते हैं।
फल और सब्ज़ियां: आप खाने में ताजे फल और सब्जियां शामिल करना ना भूलें. इनमें शलजम साग, केला, ओकरा, चीनी गोभी, सरसों का साग, ब्रोकोली, पालक, आलू, शकरकंद, संतरा, स्ट्रॉबेरी, पपीता, अनानास, केले, प्रून, लाल और हरी मिर्च ले सकते हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस का डायग्नोसिस:
- डेक्सा स्कैन
- क्वांटेटिव कंप्यूटेड टोमोग्राफी
- अल्ट्रासाउंड
ऑस्टियोपोरोसिस में बोन डेंसिटी टेस्ट
ओस्टोप्रोसिस से बचने के लिए और इसका गंभीर होने से पहले पता लगाने के लिए आपको हड्डी घनत्व परीक्षण (बोन डेंसिटी टेस्ट) (bone density test) करवाना चाहिए। ये टेस्ट 65 वर्ष से अधिक उम्र वाली महिलाओं को ख़ासतौर से कराना चाहिए। पुरुषों की बात करें तो 40 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों को बोन डेंसिटी टेस्ट करवाना चाहिए। अगर इस उम्र से पहले ही ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण दिखने लगे तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए और उपचार के लिए जाना चाहिए।
ऑस्टियोपोरोसिस का इलाज
ऑस्टियोपोरोसिस का इलाज (osteoporosis treatment) नीचे बताया गया है।
बिसफ़ॉस्फ़ोनेट्स दवाई: बिस्फोस्फोनेट के लिए अलेंड्रोनेट (बिनॉस्टो, फॉसैमैक्स), रिस्ट्रोनेट (एक्टोनेल, एटेल्विया) इबैंड्रोनेट (बोनिवा), ज़ोलएड्रोनिक एसिड (रेसला, ज़ोमेटा) जैसी दवा ले सकते हैं।
मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दवा: मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दवा बिसफ़ॉस्फ़ोनेट की तुलना में बेहतर या समान बोन डेंसिटी दिखाती है। इसका सेवन करने से सभी प्रकार के फ्रैक्चर की संभावना कम हो जाती है।
एस्ट्रोजन थेरेपी: मीनोपॉज यानी रजोनिवृत्ति शुरु होने के बाद हड्डियों की घनत्वता बनाए रखने के लिए एस्ट्रोजन थेरेपी सफल साबित हो सकती है। लेकिन ये ध्यान रहे कि एस्ट्रोजन थेरेपी से स्तन कैंसर, एंडोमेट्रियल कैंसर, रक्त के थक्कों के होने के साथ-साथ हृदय सम्बंधित रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
रिप्लेसमेंट थेरेपी: पुरूषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होनो पर ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। इस खतरे से बचने के लिए शरीर में टेस्टोस्टेरोन के स्तर में सुधार ज़रूरी है जिसके लिए रिप्लेसमेंट थेरेपी की जाती है।
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